ऐलाने जंग जारी रख,मिलेगी जीत और जश्न भी होगा।
गर्दिश में आवाम भले ही दिखे आज,तेरी फतेह का आगाज कल भी होगा।।
कलाकार रो देता है जब वह अपना स्थान खो देता है।
निष्पक्ष निकले जमाना निर्णायक भूमिका में,तो सफलता के बीज बो देता है।
कलाकार रो देता है जब वह अपनी पहचान खो देता है।
हिम्मत से बांध मंसूबे जीत के,दुनिया में टूटी माला के मोती पो देता है।।
ज़िद और जंग जारी रख,जग में इतिहास उन्हीं का है।
"पंवार" हार मान मत तू मामला ज़मीं का नहीं,साथ आसमां का है।।
अयोग्यता जब योग्यता पर पड़ती है भारी।
कला जब दब जाती प्रतिभा भी जब उससे है हारी।
बिगड़ता है खेल खिलाड़ी का जब सुख-चैन सो लेता है।
कलाकार रहता फिसड्डी तब अक्सर वह,आपे से बाहर हो लेता है।।
✍🏻 मास्टर मोटा राम पंवार पनावड़ा।
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